भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना द्वारा न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के खिलाफ उनके कार्यालय परिसर में अवैध नकदी की बरामदगी के आरोपों पर राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को आंतरिक जांच रिपोर्ट भेजे जाने के बाद, इस मामले में एफआईआर दर्ज करने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है. जिसमें आपराधिक जांच शुरू करने की मांग की गई है. यह याचिका अधिवक्ता मैथ्यूज नेदुम्परा और तीन अन्य लोगों के जरिए दायर की गई है.
बीते मार्च में नेदुम्परा ने तीन न्यायाधीशों के एक पैनल द्वारा की जा रही आंतरिक जांच को चुनौती देते हुए एक याचिका दायर की गई थी जिसमें नियमित आपराधिक जांच शुरू करने की मांग की थी. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुए उस रिट याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया था कि याचिका समय से पहले है और आंतरिक जांच के परिणाम का इंतजार करना होगा. पीठ ने रिट याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि इस स्तर पर इस रिट याचिका पर विचार करना उचित नहीं होगा.
आपराधिक जांच कराने की मांग
वहीं नई याचिका में कहा गया है कि रिपोर्ट में अगर प्रथम दृष्टया आरोप सही है तो मामले की आपराधिक जांच कराई जानी चाहिए. याचिकाकर्ता ने सुप्रीमकोर्ट से इस संबध में निर्देश जारी करने की मांग की है.
जज के पद से इस्तीफा देने से इनकार
इस बीच जज यशवंत वर्मा ने दिल्ली स्थित उनके सरकारी आवास पर नकदी पाए जाने के आरोपों की जांच करने वाली आंतरिक समिति द्वारा उन पर अभियोग लगाए जाने के बाद भी हाईकोर्ट के जज के पद से इस्तीफा देने से इनकार कर दिया है. सूत्रों के मुताबिक मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) संजीव खन्ना ने इन-हाउस समिति की रिपोर्ट प्राप्त करने के बाद जज वर्मा से इस्तीफा देने या महाभियोग की कार्यवाही का सामना करने के लिए कहा था.
हालांकि न्यायमूर्ति वर्मा ने न्यायाधीश पद छोड़ने से इनकार कर दिया, इसलिए सीजेआई खन्ना ने अब न्यायाधीश को हटाने के लिए रिपोर्ट और उस पर न्यायाधीश की प्रतिक्रिया को भारत के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भेज दिया है. यह इन-हाउस प्रक्रिया के अनुसार है जिसके तहत सीजेआई को जांच पैनल के प्रतिकूल निष्कर्षों के बाद भी इस्तीफा देने से इनकार करने वाले न्यायाधीश को हटाने के लिए राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को मामले की रिपोर्ट करने की आवश्यकता होती है. .