भारत सरकार ने पाकिस्तान उच्चायोग में कार्यरत एक अधिकारी को “पर्सोना नॉन ग्राटा” (अवांछित व्यक्ति) घोषित कर दिया है. जो भी ऐसा व्यक्ति अवांछित घोषित किया जाता है, सरकार उसे भारत में रहने के लिए अयोग्य मानती है. ऐसे में अब इस पाक अधिकारी को तुरंत देश छोड़ने होगा. यह कदम उस अधिकारी की गतिविधियों को लेकर उठाया गया है, जो भारत में उसकी आधिकारिक भूमिका के अनुरूप नहीं थीं. यह फैसला भारत की सुरक्षा और कूटनीतिक मर्यादाओं को ध्यान में रखते हुए लिया गया है.
विदेश मंत्रालय ने इस संबंध में शुक्रवार को एक आधिकारिक बयान जारी करते हुए कहा कि संबंधित अधिकारी को 24 घंटे के भीतर भारत छोड़ने का निर्देश दिया. पाकिस्तानी उच्चायोग के चार्ज डी’अफेयर्स को विदेश मंत्रालय में तलब कर इस फैसले से औपचारिक रूप से अवगत कराया गया और एक कड़ा डिमार्श (राजनयिक आपत्ति पत्र) भी सौंपा गया.
पहले भी लिया जा चुका है ऐसा फैसला
हालांकि मंत्रालय ने अधिकारी की पहचान और उसके गतिविधियों के प्रकार का खुलासा नहीं किया है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि वह व्यक्ति भारत में खुफिया गतिविधियों में संलिप्त था. भारत पहले भी कई बार ऐसे पाकिस्तानी अधिकारियों को पर्सोना नॉन ग्राटा घोषित कर चुका है, जो जासूसी जैसी संदिग्ध गतिविधियों में लिप्त पाए गए थे.
पाक सरकार की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं
भारत और पाकिस्तान के बीच लंबे समय से चले आ रहे तनावपूर्ण संबंधों के बीच यह घटना दोनों देशों के बीच कूटनीतिक मोर्चे पर एक और टकराव को दर्शाती है. पाकिस्तान उच्चायोग से अधिकारी की निष्कासन की यह कार्रवाई भारत की कूटनीतिक संप्रभुता को स्पष्ट रूप से प्रदर्शित करती है.
इस घटनाक्रम को लेकर अभी तक पाकिस्तान सरकार की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है. लेकिन अतीत में ऐसे मामलों में पाकिस्तान ने विरोध दर्ज कराते हुए जवाबी कार्रवाई के तहत भारतीय अधिकारियों को भी निष्कासित किया है. हालांकि यह देखना अहम होगा कि इस बार पाकिस्तान क्या रुख अपनाता है और क्षेत्रीय स्थिरता पर इसका क्या प्रभाव पड़ता है.
क्या होता है ‘पर्सोना नॉन ग्राटा’
‘पर्सोना नॉन ग्राटा’ एक लैटिन शब्द है, जिसका मतलब होता है अवांछित व्यक्ति. यह शब्द अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में तब इस्तेमाल किया जाता है, जब कोई देश किसी विदेशी राजनयिक या अधिकारी को अपनी धरती पर अवांछित घोषित करता है. ऐसा आमतौर पर तब होता है जब वह व्यक्ति जासूसी, साजिश या किसी अन्य राष्ट्रविरोधी गतिविधि में लिप्त पाया जाता है.
जब किसी अधिकारी को ‘पर्सोना नॉन ग्राटा’ घोषित किया जाता है, तो उसे आमतौर पर 24 से 72 घंटे के भीतर उस देश को छोड़ने का आदेश दिया जाता है. यह किसी भी देश की ओर से दिया जाने वाला सबसे कड़ा कूटनीतिक विरोध माना जाता है. यह कदम उस समय उठाया जाता है जब कोई राजनयिक अपनी सीमाएं लांघता है और देश की सुरक्षा या आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करता है.